आनंद तो जीने में है, सुख के लिये जीने में सुख के लिये जीवन संघर्ष करने में सुख के लिये जूझने में और सुख के लिये सब कुछ खो देने में सुख की खोज, सत्य धर्म और ईश्वर तीनों का नशा मनुष्य मात्र को हो यही चाहते हैं! - महानुभाव श्री माधवजी पोतदार साहब
सदगुरु का घर मुक्ति का मायका होता है ! वहां मुक्ति रहती है ! इसीलिये किसी शिष्य की बार बार इच्छा होती है कि सदगुरु कि कृपा से मुक्ति के उनके भंडार में से अपने लिये पर्याप्त इतनी मुक्ति तो ढोकर लाई जावे ! मतलब यह कि तपस्थान अपना निवास व मुक्तिस्थान सदगुरु निवास ! इससे अधिक मनुष्य को चाहिये भी क्या... - श्री साहब
घर -घर से जन-जन से इस धर्म का आचरण कराना है . यह होगा वेदो के पुनरुज्जीवन का कार्य और...
अग्निहोत्र जयन्ती २२ फरवरी २०१८ को देश के विभिन्न शहरो में अत्यंत उत्साह से मनाया गया।